tag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post1416086229951469396..comments2023-10-15T04:27:46.962-07:00Comments on bhardwaj'sblog: उनके माथे पर अक्सर पत्थर के दाग रहेchandrabhan bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/09515769930349777559noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-22134780603283823542010-05-06T23:01:02.970-07:002010-05-06T23:01:02.970-07:00उनके माथे पर अक्सर पत्थर के दाग रहे
जो इमली अमर...उनके माथे पर अक्सर पत्थर के दाग रहे <br />जो इमली अमरूदों आमों वाले बाग़ रहे <br />नया मतला है दोस्त.........दरख्तों की बेबसी को क्या ही शानदार तरीके से बयाँ किया है आपने<br />बाकि शेर भी बहुत ही अच्छे हैं<br />यह शेर हमारा हुआ......<br />कुछ उजले महलों में रहकर भी काले निकले<br />कुछ काजल की कोठी में रहकर बेदाग़ रहे <br />वाहPawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-28743802732031585982010-05-06T18:16:16.355-07:002010-05-06T18:16:16.355-07:00भारद्वाज जी
प्रणाम आपको और आपकी लेखनी को !
किसी ए...भारद्वाज जी <br />प्रणाम आपको और आपकी लेखनी को !<br />किसी एक शे'र को ख़ास तर्जीह देने का अर्थ होगा अन्य शे'रों के साथ नाइंसाफ़ी । <br />ख़ूब मुरस्सा ग़ज़ल कही है … वाह -वाह !<br />फिर भी मेरी संतुष्टि के लिए इन शे'रों को दुबारा सलाम है -<br /><br />"कुछ उजले महलों में रहकर भी काले निकले<br />कुछ काजल की कोठी में रहकर बेदाग़ रहे "<br />"इतनी 'भारद्वाज' रही प्रभु से विनती अपनी <br />सिर पर छाँव रहे न रहे पर सिर पर पाग रहे "<br /><br />कृपया , <br /><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com" rel="nofollow">शस्वरं</a> पर आप भी पधार कर कृतार्थ करें !<br /><br /><br /><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com" rel="nofollow">शस्वरं</a> - राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-43383993523978893462010-05-06T00:47:12.312-07:002010-05-06T00:47:12.312-07:00उन कदमों को पर्वत या सागर क्या रोकेंगे
जिनकी आँखों...उन कदमों को पर्वत या सागर क्या रोकेंगे<br />जिनकी आँखों में पानी सीने में आग रहे <br />वाह.....बहुत गहरा भाव..<br />पूरी ग़ज़ल शानदार.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-73498128980418154152010-05-05T01:51:51.253-07:002010-05-05T01:51:51.253-07:00ज़िन्दगी के फलसफे कितनी सहज भाषा में व्यक्त कर दिए...ज़िन्दगी के फलसफे कितनी सहज भाषा में व्यक्त कर दिएsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-56926298067639832222010-05-05T01:38:06.093-07:002010-05-05T01:38:06.093-07:00"उनके माथे पर अक्सर पत्थर के दाग रहे
जो इमली..."उनके माथे पर अक्सर पत्थर के दाग रहे<br />जो इमली अमरूदों आमों वाले बाग़ रहे"<br /><br />लाजवाब मतला.<br />सुंदर ग़ज़ल.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-11055163880658551402010-05-05T01:31:52.362-07:002010-05-05T01:31:52.362-07:00संवेदन शील भावनाओं से ओतप्रोत दिल को छूती हुई रचना...संवेदन शील भावनाओं से ओतप्रोत दिल को छूती हुई रचना.... लिखते रहिये....हम पढने को जाग रहे.Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-61066883588910818742010-05-05T01:21:48.044-07:002010-05-05T01:21:48.044-07:00वाह भारद्वाज जी वाह
सरल बात को आप इस तरीके से कह...वाह भारद्वाज जी वाह <br /><br />सरल बात को आप इस तरीके से कह्देते हैं कि दिल में उतर जाती हैं <br /><br />उनके माथे पर अक्सर पत्थर के दाग रहे <br />जो इमली अमरूदों आमों वाले बाग़ रहे <br /><br />हम तो मत्ला ही बार बार पढते रहे आगे बढ़ने का मन ही नहीं किया <br /><br />हर शेर उम्दा <br />जितना कहें कम <br /><br />आपकी गजल पढ़ कर लगता है कि हम पता नहीं क्या लीपा-पोती कर रहे हैं गजल के नाम पर :)वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-85865938174880734472010-05-05T01:17:45.120-07:002010-05-05T01:17:45.120-07:00उन कदमों को पर्वत या सागर क्या रोकेंगे
जिनकी आँखो...उन कदमों को पर्वत या सागर क्या रोकेंगे <br />जिनकी आँखों में पानी सीने में आग रहे<br />बहुत ही सुन्दर रचना.....अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-18961917608996087832010-05-05T01:03:56.855-07:002010-05-05T01:03:56.855-07:00जीवन का सारा निचोड़ आप की इस गजल मे नजर आ रहा है......जीवन का सारा निचोड़ आप की इस गजल मे नजर आ रहा है....बहुत ही उम्दा गजल है....बधाई स्वीकारें।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-67059648583741599512010-05-05T00:13:04.730-07:002010-05-05T00:13:04.730-07:00बहुत ही सुन्दर रचना है ... हर शेर सच्चाई बयां करता...बहुत ही सुन्दर रचना है ... हर शेर सच्चाई बयां करता है ... और बहुत असरदार ढंग से करता है ... खास कर ये शेर बहुत अच्छा लगा -<br />कुछ उजले महलों में रहकर भी काले निकले<br />कुछ काजल की कोठी में रहकर बेदाग़ रहेIndranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.com