हालात ने तकदीर का मारा बना दिया
पर शायरी ने आँख का तारा बना दिया
कुछ चाहतों ने तो उमर को पर लगा दिए
कुछ हसरतों ने एक बनजारा बना दिया
जलते दिये अक्सर हवाओं ने बुझा दिए
चिनगारियों को यार अंगारा बना दिया
जब तक नदी बनकर रहा मीठा बना रहा
सागर बना तो पानी भी खारा बना दिया
मालूम है उसको किसे किस रूप में रखे
हीरा कोई शीशा कोई पारा बना दिया
यह ज़िन्दगी क्या क्या बनाएगी अभी हमें
अच्छा भला इंसान बेचारा बना दिया
कुछ देर पहले तक जो 'भारद्वाज' आम था
उसकी निगाह ने उसे न्यारा बना दिया
चंद्रभान भारद्वाज